घने जंगल में सातऊ गांव की सात पहाडिय़ों के बीच विराजमान मां शीतला

nspnews 22-03-2023 State

एनएसपीन्यूज। ग्वालियर शहर से 20 किलोमीटर दूर घने जंगल में सातऊ गांव की सात पहाडिय़ों के बीच विराजमान मां शीतला की कहानी बड़ी ही अद्भुत है। लोग बताते हैं घना जंगल होने के कारण यहां मंदिर के आसपास शेर अक्सर मिल जाया करते थे, लेकिन कभी भक्तों पर हमला नहीं किया। असल में 1669 विक्रम संवत (सन् 1726 ई) में मां शीतला भिंड के गोहद खरौआ गांव के जंगल से भक्त और इस मंदिर की पूजा अर्चना करने वाले पहले महंत गजाधर बाबा के साथ कन्या रूप में ग्वालियर के सातऊ के जंगल में आ बसी थीं। जहां आकर माता विलुप्त हुईं वहां उनका आज विशाल मंदिर है। कभी यहां पत्थर के सात टुकड़े हुआ करते थे।
कहते हैं जंगल में होने के कारण इन्हें डकैतों की देवी भी कहा जाता है। यहां डकैत घंटा चढ़ाने आते थे। मां शीतला के दरबार में डकैत और पुलिस सभी सिर झुकाते थे। यहां हर मनोकामना पूरी होती है, लेकिन सबसे अजीब परम्परा यहां झूला झुलाने से सूनी गोद भरना और पहाड़ी पर पत्थरों से प्रतीकात्मक मकान बनाने से अपने घर का सपना मां पूरा करती है। अभी मंदिर का प्रबंधन गजाधर बाबा की छटवीं पीढ़ी महंत कमलसिंह भगत संभाल रहे हैं।

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