धर्म का आश्रय लेकर ही मनुष्य संसार सागर से पार हो सकता है : अजय शास्त्री
नरसिंहपुर। गल्ला मंडी के सामने वर्मा परिक्षेत्र में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस कथा व्यास पं अजय शास्त्री ने बताया कि मनुष्य को आयु, बल, बुद्धि, अवस्था, व्यवस्था, पद और प्रतिष्ठा पाने पर अहंकार में नहीं होना चाहिए अहंकार हमारे जीवन को समूल नष्ट कर देता है वस्तुतः वास्तव में बड़े जो होते हैं वह भी नहीं होते हैं। भगवान श्री कृष्णा जब द्वारका पहुंचे तो अपने माता-पिता को प्रणाम किया आशीर्वाद लिया मनुष्य को सदैव अपने से बड़ों को प्रणाम और सम्मान करना चाहिए। प्रणाम करने से चार चीज़ अनायास ही बढ़ जाती है। समस्त प्राणियों की मनोवृत्ति सुख चाहती है किंतु सुख धाम के बिना प्राप्त नहीं हो सकता इसलिए मनुष्य को धर्म प्राण होना आवश्यक है अतः धर्म का आश्रय लेकर ही मनुष्य संसार सागर से पार हो सकता है दूसरा कोई साधन नहीं है
श्रीमद् भागवत कथा मानवता का संविधान हैं। निष्काम धर्म का आचरण करें सत्पुरुषों का संग्रह करें विषय वासना को हृदय से हटा दें एवं दूसरों की स्तुति निंदा में ना पढ़कर भागवत कथा रूपी अमृत का सादा पान करें। पं अजय शास्त्री ने सुखदेव जी के जन्म की कथा नारद जी के पूर्व जन्म का वृतांत भीष्म पितामह के महापर्यन की कथा और परीक्षित जी को श्राप एवं सुखदेव जी की आगमन तक कथा को कहा। उन्होंने बताया कि धर्म से मनुष्य राज्य प्राप्त करता है और धर्म से ही स्वर्ग प्राप्त करता है आयु कीर्ति और पुण्य कार्य धर्म से ही प्राप्त होते हैं मोक्ष भी धर्म से ही मिलता है।