भक्तों ने श्रीगिरिराजजी पंचामृत स्नान व दानगढ मानगढ छाक महोत्सव के दर्शनों का लाभ लिया

nspnews 16-09-2024 Regional

गाडरवारा। स्थानीय ठाकुरजी की हवेली में दान एकादशी व वामन द्वादशी के मनोरथ आचार्य व्रजोत्सव महाराज के सानिध्य में संपन्न हुए। इस अवसर पर अपने वचनामृत में महाराज जी ने कहा कि भक्त और भगवान का संबंध दान का है। भक्त अपने जीवन को कृतार्थ करने के लिये प्रेम का दान करता है। मन का भाव और श्रद्वा का दान करता है और बदले में भगवान अपनी कृपा का दान भक्त के उपर करते हैं। भगवान यदि भक्त से यह सब लेते हैं तो उस पर कृपा जरूर बरसाते हैं। दानलीला पुष्टि मार्ग का एक प्रमुख उत्सव है। भगवान यह कहते हैं कि मैं भक्त का पराधीन हूं। भक्त का मन भगवान की सेवा के लिये उपयोगी और जरूरी है।पर भक्त का मन अलौकिक होगा तभी उसके मन का दान संभव है। मन को मायामय नहीें मोहन मय बनाना है। हमें संसार की आसक्ति का समर्पण करना होगा तभी मन के दान के माध्यम से प्रभु की लीला का साक्षात्कार संभव है। महाराजश्री ने अपने वचनामृत में बताया कि वामन द्वादषी पुष्टि मार्यादा का उत्सव है। राजा बलि का समर्पण बडा था। परंतु उसका समर्पण ब्रज भक्तों के बराबर नहीं था। ब्रज भक्तो का समर्पण इसलिये सबसे बडा है क्योंकि उन्होंने भगवान को अपने मन के भावों और प्रेम का समर्पण किया। कार्यक्रम में श्रीगिरिराजजी पंचामृत स्नान व दानगढ मानगढ छाक महोत्सव के दर्शनों का लाभ बडी संख्या में वैष्णव जनों व भक्त जनों ने लिया।

 

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