परेड मंदिर में विराजे मूंछों वाले हनुमान, जिनकी सैनिक के रूप में होती पूजा
एनएसपीन्यूज। सागर के छावनी इलाके में परेड मंदिर है जिसमें मूंछों वाले हनुमान विराजे हैं। यहां हनुमान सेना के जवानों की आस्था का केंद्र हैं। माना जाता है कि यहां हनुमान एक सैनिक के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर को लेकर कई तरह के किस्से भी प्रचलित है।
जानें क्यों खास हैं मूंछों वाले हनुमान - परेड मंदिर में विराजे है मूंछों वाले हनुमान भगवान राम के परम भक्त हनुमान के कई ऐतिहासिक और सिद्ध मंदिर हैं। इसके अलावा हनुमान के कई रूपों में मूर्तियां भी देखने मिलती है। भक्तों ने अपनी आस्था और श्रद्धा अनुसार हनुमान मूर्तियों की स्थापना की है। इसी तरह सागर के कैंट इलाके में हनुमान का एक ऐसा मंदिर है, जिसे परेड मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में स्थानीय लोगों की अटूट आस्था है। मंदिर को परेड मंदिर कहे जाने के पीछे कई किवदंती हैं। कई श्रृद्धालु तो हनुमान को सैनिक के रूप में मानते है, क्योंकि यहां विराजे हनुमान की रौबदार मूछें है और हाथ सलामी देता प्रतीत होता है।
ये भी कहा जाता है कि सेना का जवान भगवान हनुमान का भक्त था एक बार सैनिक परेड छोड़कर मंदिर आ गया, तभी कर्नल पहुंच गया और हाजिरी लगाई, तब सैनिक के रूप में भगवान हनुमान ने हाजिरी दी। सागर छावनी इलाके में स्थित मंदिर सेना और स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है, यहां आषाढ़ मास के हर मंगलवार को विशाल मेला भरता है।
सागर परेड मंदिर कहां स्थित है परेड मंदिर - सागर के छावनी इलाके में झांसी रोड पर छावनी परिषद कार्यालय के पास हनुमान मंदिर स्थित है, जिसे परेड मंदिर कहते हैं. मंदिर वाराणसी के पंचदश जूना अखाड़ा से जुड़ा है. मंदिर परिसर में राम सीता और लक्ष्मण, राधा कृष्ण, भगवान शंकर और शनि देव का मंदिर भी है. यहां लगातार यज्ञ, हवन और धार्मिक आयोजन का सिलसिला चलता रहता है. सेना और स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से लोग परेड मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने आते है.
परेड मंदिर में विराजे है मूंछों वाले हनुमानसेना के जवानों में आस्था का केंद्र - हनुमान मंदिर को परेड मंदिर कहे जाने की किवदंती हैं. मंदिर के महंत राघवेंद्र गिरी बताते हैं कि मंदिर का नाम परेड मंदिर इसलिए है क्योंकि यहां सेना की परेड होती थी. अंग्रेजों के जमाने में भी सागर बड़ी छावनी थी। तब यहां विशाल मंदिर परिसर नहीं था, एक छोटे से मंदिर में हनुमान जी विराजे हुए थे. कहा जाता है कि सेना का एक जवान हनुमान जी का परम भक्त था. उसे जब भी मौका मिलता था, वह मंदिर आ जाता और मंदिर की साफ-सफाई के साथ भगवान की भक्ति करता था। परेड मंदिर में विराजे है मूंछों वाले हनुमान यहां विश्राम मुद्रा में विराजे हैं पवन पुत्र, नाभि से बहती है जल की धारापहले हनुमान जी को देते हैं लिखित आवेदन, फिर होती है सुनवाई, अनोखी है ’अर्जी वाले हनुमान जी’ की महिमा
बजरंगबली ने दी हाजिरी - पुजारी ने बताया कि हनुमान जी सेवक वह सैनिक एक बार परेड छोड़कर मंदिर आ गया और साफ सफाई करने लगा। तभी परेड का निरीक्षण करने कर्नल पहुंच गया। इधर सैनिक मंदिर की सफाई करता रहा और उधर कर्नल ने परेड का निरीक्षण कर जवानों की हाजिरी ली. जब जवान मंदिर से वापस परेड में पहुंचा, तो पता चला कि कर्नल आया था। वह गैरहाजिर होने के कारण काफी डर गया, लेकिन उसके साथी सैनिकों ने बताया कि वह परेड में मौजूद था. जब हाजिरी के रजिस्टर पर देखा, तो सैनिक के दस्तखत भी थे। जवान समझ गया कि उसकी जगह उसकी नौकरी बचाने भगवान खुद परेड में पहुंच गए थे।
मूछों वाले हनुमान को मानते हैं सैनिक का रूप - परेड मंदिर में विराजे भगवान हनुमान की मूर्ति अन्य मूर्तियों से भिन्न में है. आमतौर पर हनुमान की मूर्ति वानर स्वरूप में होती है लेकिन परेड मंदिर में हनुमान जी की मूछें हैं, बड़ी-बड़ी आंखों के साथ उनका चेहरा रौबदार दिखाई देता है और एक हाथ सलामी देता हुआ प्रतीत होता है। हनुमान जी किसी सैनिक की तरह दिखाई देते हैं। इसलिए कई श्रद्धालुओं परेड मंदिर के हनुमान को सैनिक के रूप में पूजते हैं।