टीआर नेमा फाउंडेशन का वार्षिक समारोह एवं आशा अवॉर्ड अलंकरण कार्यक्रम सम्पन्न
नरसिंहपुर। टी आर नेमा फाउंडेशन का वार्षिक समारोह एवं आशा अवॉर्ड अलंकरण वर्ष 2024 एमआईएमटी कॉलेज के सभागार में सम्पन्न हुआ। आयोजन के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यमंत्री जालम सिंह पटेल और डॉ संजीव चांदोरकर, अध्यक्षता प्रसिद्ध हास्य कवि गुरु प्रसाद सक्सेना सांड़ नरसिंहपुरी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में इंजी रुद्रेश तिवारी, थम्मन शर्मा, साहित्यकार इंजी नरेश जैन जबलपुर, विजय नेमा भोपाल, प्रभुनारायण नेमा छिंदवाड़ा, विजय नेमा अनुज जबलपुर रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन, सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागत से किया गया। जिसका संचालन श्रीमती आयुषी अनादि नेमा ने किया। फाउंडेशन सचिव कमल नेमा द्वारा फाउंडेशन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
टीआर नेमा फॉउंडेशन फॉर सोशल एंड कल्चरल डेव्लप्मेंट नरसिंहपुर द्वारा सुप्रसिद्ध कवि और शिक्षाविद स्व. तुलसी राम नेमा की 92 वीं जन्म जयंती आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री जालम सिंह पटेल ने कहा कि नेमा जी रामचरित मानस की चौपाइयों के गूढ़ अर्थों को बहुत मौलिक उद्भावनाओं के साथ प्रकट करते थे। नेमा जी का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली और देश समाज को दिशा देने वाला था। मुख्य अतिथि की आसंदी से ही लब्ध प्रतिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजीव चांदोरकर ने नेमा जी के साथ अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए उनके सामाजिक चिंतन को रेखांकित किया। विशिष्ट अतिथि जाने माने कवि और लेखक नरेश जैन ने तुलसीराम नेमा की रचनाधर्मिता की चर्चा करते हुए कहा कि नेमा जी की कविता का केंद्रीय विषय इंसान और इंसानियत रहा है। उन्होंने आम आदमी के जीवन संघर्ष, उसकी आशाओं-आकाक्षाओं, उसकी क्षमताओं और विवशताओं को बहुत ही यथार्थपरक दृष्टि से अभिव्यक्त किया है। मुक्तक उनकी प्रिय विधा थी। नेमा जी के मुक्तक संग्रह का शीर्षक है बेजोड़ है यह आदमी! नेमा जी भी अपने आप में बेजोड़ शख्सियत थे। वे जितने अनूठे कवि थे उतने ही प्रखर शिक्षाविद और संवेदनशील इंसान थे। डॉ. सुधीर सिंघई ने अपने जीवन के बौद्धिक और भावनात्मक विकास पर नेमा जी के प्रभाव को याद किया। आचार्य थम्मन सिंह शर्मा ने बताया कि नरसिंहपुर के सामाजिक, शैक्षिक, दार्शनिक और राजनीतिक विचार क्षेत्र में तुलसी राम नेमा की कितनी महत्वपूर्ण और प्रेरक भूमिका होती थी। नेमा जी के साथी ललित बिहारी श्रीवास्तव ने बहुत ही आत्मीयता के साथ उन प्रसंगों को याद किया जिसमें नेमा जी मानस के अक अद्भुत व्याख्याकर के रूप में प्रतिष्ठित थे।
आयोजन के अध्यक्ष हास्य व्यंग्य कवि गुरु प्रसाद सक्सेना साँड नरसिंहपुरी ने अपने उद्बोधन में नेमा जी को अत्यंत श्रद्धापूर्वक याद करते हुए कहा कि नेमा जी ने ही मुझे जीवन दृष्टि दी जिससे मैं अपनी हास्य कविताओं में भी सामाजिक मर्यादा का निर्वाह कर सका। कार्यक्रम की दूसरे चरण में श्रीकृष्णदास नेमा द्वारा प्रवर्तित आशा अवार्ड बालाघाट की साहित्यकार तृप्ति नेमा माहुले उर अमरवाड़ा के युवा समाज सेवी दिनेश नेमा को प्रदान किया गया। इस प्रसंग में विदुषी स्वाति चांदोरकर ने स्व. आशा नेमा के व्यक्तित्व की खूबियों को स्नेहिल शब्दों में व्यक्त किया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन सशक्त व्यंग्यकार अजय तुलसी ने किया। अजय तुलसी ने बताया कि नेमा जी का अभी भी विपुल लेखन अप्रकाशित है जिसमें सबसे अधिक उल्लेखनीय कृति राम की चौथी माँ : मंथरा है जिसका शीघ्र प्रकाशन प्रस्तावित है।